...

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*** ढलती शाम ***
उम्र का एक दौर आ कर चला गया,
वो ख़्वाब दिल मे आज भी ज़िन्दा हैं,
ढली जा रही है ये शाम ज़िन्दगी की ,
पर मोहब्बत आज भी ताबिन्दा है,

कुछ तो कह रही है कानों में ,
ये ढलती शाम गुनगुना कर ,
सुबह की उदासी देखकर ,
क्यूँ रात ये आज भी शर्मिंदा है।।