...

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फ़ुरसत लाना....
अबके दिन ढले आओ तो
थोड़ी फुरसत को भी संग लाना
श्याम श्वेत हो गई है शामें
संग अपने कुछ रंग लाना

सुबह से शाम बाट जोहूँ मैं
चुभता है रोज़ देर से आना
व्यस्तता मानक भई जीवन की
आज कुछ पल को उसे छोड़ आना

मन है आज शाम गुजरे मेरी
सतरंगी खुशियों से भरी
चिढ़ा न दे फिर से एक बार
इंतज़ार में रखी ये चाय पकौड़ी

थक जाती हूँ मैं भी तो कभी
तुम्हारी व्यस्तता में अकेले पड़ी
घड़ी की सुइयाँ भूलकर तुम
आज नज़र मुझ पर टिका जाना

समझती हूँ मैं काम तुम्हारा
मुश्किल है पीछा छुड़ाना
मेरी तो सिर्फ़ इतनी अभिलाषा
कभी मेरे लिए तुम फ़ुरसत लाना..!!

.... bindu



© bindu