नश्शा
आंखों से पीने वालों को बोतल का नश्शा देते हो,
महंगी पीने वालों को कहां सस्ती का नश्शा देते हो।
कमाल करते हो जाम देते हो मिलाके पानी में,
सामने तुम रहो बेपर्दा पूरी बोतल का मज़ा देते हो।
जी तो करता है होंठों से लगा कर गटक जाऊं तुमको,
अपनी मर्ज़ी से बहक जाओ तुम तो और
मज़ा देते हो।
रोज़ न सही कभी तो मान लो मेरा कहना ,
तुम नहीं सुनते तो बरहम का गुमां देते हो।
'खाक़' जो पी ली उन होंठों से आब-ए-हयात,
शबनम हो,शरबत हो या के शराब तुम सबका
मज़ा देते हो।।
© khak_@mbalvi
महंगी पीने वालों को कहां सस्ती का नश्शा देते हो।
कमाल करते हो जाम देते हो मिलाके पानी में,
सामने तुम रहो बेपर्दा पूरी बोतल का मज़ा देते हो।
जी तो करता है होंठों से लगा कर गटक जाऊं तुमको,
अपनी मर्ज़ी से बहक जाओ तुम तो और
मज़ा देते हो।
रोज़ न सही कभी तो मान लो मेरा कहना ,
तुम नहीं सुनते तो बरहम का गुमां देते हो।
'खाक़' जो पी ली उन होंठों से आब-ए-हयात,
शबनम हो,शरबत हो या के शराब तुम सबका
मज़ा देते हो।।
© khak_@mbalvi