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काल की भूख ( राजनीति और मजदूर )
भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है महाविकराल, घायल है मां भारती का लाल ।
जन नेताओ के स्वार्थ और चाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।


मानव ने उपजाई है ये मानव को ही खाएगी।

मानव ने उपजाई है ये मानव को ही खाएगी
इसे भूख है, मानवता के खाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



नेता बने है भेड़िया,
चबा रहे है हड्डियां मानवता के भाल की।
मानवता को भूख है अब, जनता के रक्त उबाल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



इंसानी बस्तियों में प्रेत नांचते,
भूख उन्हें है मानव के कंकाल की।
भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



जमाती नेताओ ने सजाई है, इंसानी लाशों की पालकी।

तब्लीगी नेताओ ने भारत में, सजाई है इंसानी लाशों की पालकी।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।


बीमारी नहीं ये है भूख
वर्षों से भूखे चांडाल की।
मृग मरीचिका है ये मजदूरों के घर आस की।
नेताओ के झगड़ो और राजनीतिज्ञयो के चाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



मजदूर हुआ शिकार रस्ते में चलता
दर्द और पीड़ाओं से कट कट मरता
भूख बनी ये उसके जी के जंजाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



राजनीति के देखो खेल तमाशे, भूख बनी ये मजदूरों के बुरे हाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



आक्षेप, कटाक्ष और राजनीति हुई दाल की।
भूख है ये काल की।

आक्षेप, कटाक्ष और राजनीति हुई दाल की।
दाल वही जो गली ना सत्ता के गलियारों में, ये भूख है उसी नेता के फटेहाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



भूख ये अहंकार की।

भूख है ये अहंकार की,
भूख है ये राजनीति में जीत के जयमाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



डम डम डमरू के नाद की।
भूख बनी ये कुपित प्रकृति के आह्वाद की।
काली और महाकाल की।
भूख है ये राजनीति के गले में नरमुंडों के माल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।

जय बोलो महाकाल की।
जय बोलो महाकाल की।।

✒️🖊️🖋️📝
""पार्थ"" (M.G.)
© PARTH