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काल की भूख ( राजनीति और मजदूर )
भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है महाविकराल, घायल है मां भारती का लाल ।
जन नेताओ के स्वार्थ और चाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।


मानव ने उपजाई है ये मानव को ही खाएगी।

मानव ने उपजाई है ये मानव को ही खाएगी
इसे भूख है, मानवता के खाल की।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



नेता बने है भेड़िया,
चबा रहे है हड्डियां मानवता के भाल की।
मानवता को भूख है अब, जनता के रक्त उबाल की।।

भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



इंसानी बस्तियों में प्रेत नांचते,
भूख उन्हें है मानव के कंकाल की।
भूख है ये काल की।
भूख है ये काल की।।



जमाती नेताओ ने सजाई है, इंसानी लाशों की पालकी।

तब्लीगी नेताओ ने भारत में, सजाई है इंसानी लाशों की पालकी।
भूख है ये काल की।।

भूख है ये...