समंदर और तुम!
#realm_cupid
अडोल खड़ी हूँ,
समंदर के किनारे,
समंदर गरजता मुझ ही में,
वो नस नस में
बह रहा बन तेरे स्पर्श का उन्माद,
वो रक्त जो उष्ण हो
हिलोरे ले रहा मेरे बदन में,
आह्वान कर रहा
पाने को तेरा सान्निध्य,
फिर, फिर उस आह्लाद को,
बहने...
अडोल खड़ी हूँ,
समंदर के किनारे,
समंदर गरजता मुझ ही में,
वो नस नस में
बह रहा बन तेरे स्पर्श का उन्माद,
वो रक्त जो उष्ण हो
हिलोरे ले रहा मेरे बदन में,
आह्वान कर रहा
पाने को तेरा सान्निध्य,
फिर, फिर उस आह्लाद को,
बहने...