...

3 views

समझे बिना वफ़ा करना ही इश्क़ का गुरूर है
एक दूजे को समझना इश्क का दस्तूर है
समझने से जो किया जाए वो फितूर है

ख़्वाब, ख़्याल, अहसास लाज़मी होने लगे
ख़्याल महबूब का होना ही फिर बदस्तूर है

रात, रानाइयां और वस्ल के अम्कानात भी
मुम्किन नज़र आते हैं ...