...

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"मुझे बताना है तुम्हें "
मुझे बताना है तुम्हें....

मुझे बताना है तुम्हें कि बदल गया हूं मैं,
प्यार बेशक आज भी करता हूं............
मगर जताना भूल गया हूं मैं...............
गुस्सा आज भी आता है तुम पर.........
लेकिन उस गुस्से को दबाना सीख गया हूं मैं,
तुमसे बातें करने की आज भी तलब उठती है,
मगर उस तलब को अपने अंदर दफ़न करना
सीख गया हूं मैं..........
आज भी तुम्हारी परवाह होती है मगर.... बेपरवाह होना भी सीख गया हूं मैं........
दिल में आज भी दर्द होता है मगर...........
उस दर्द को छुपा कर मुस्कुराना सीख.......
गया हूं मैं........!!


© Rohit Kumar Gond