ये उलझन कैसे सुलझाऊँ
कोई बताए ये उलझन कैसे सुलझाऊँ,
सच तो ये ही की मैं खुद ही खुद को समझाता हूँ,
की तुम मेरे नही हो,पर दिल का दर्द है की जाता नहीं,
किसी को बताता हूँ तो लोग कहते हैं कहाँ अटके हो,
आगे बढ़ो,राहें और भी हैं,
अब उन्हे कैसे समझाऊँ
कुछ बाते अपने बस में...
सच तो ये ही की मैं खुद ही खुद को समझाता हूँ,
की तुम मेरे नही हो,पर दिल का दर्द है की जाता नहीं,
किसी को बताता हूँ तो लोग कहते हैं कहाँ अटके हो,
आगे बढ़ो,राहें और भी हैं,
अब उन्हे कैसे समझाऊँ
कुछ बाते अपने बस में...