...

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साल गुजरने वाला है
तो क्या हुआ जो नित पराजय का स्वाद तूने चखा।
तो क्या हुआ जो दुर्भाग्य है तेरा जैसे एक सखा।।

कर कर्म अपना तू , ना परिणामों से भयभीत हो।
रह अडिग लक्ष्यपथ पर , कितनी भी परिस्थिति विपरीत हो।।

प्रत्यनों से ही तेरा रवि रूपी भविषय काली रातों से उबरने वाला है।
सब्र से नई सुबह का इंतजार कर क्योंकि कर्मवीर ये साल गुजरने वाला है।।



© Dhruv