...

2 views

मन का मौन
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
मन मौन व्रत कर अपराध करता है,
किस भांति देखो आघात करता है।
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है,
सच के चेहरे पर कालिख घेरता है।
विचारों की राह में कांटे बिछाता,
स्वयं को ही वह छलता और रुलाता है।
बाहर से चुप, भीतर से जलता है,
मन का दानव हर सीमा तोड़ता है।
कभी तीर सा, कभी विष की बूटी,
वो आत्मा को करता है छिन्न-भिन्न।
वर्तमन के धोखे में खो जाता है,
अतीत की यादों को भुला जाता है।
मन को समझाओ, मन को साधो,
चुप्पी की ताकत नहीं, सच्चाई के राग को गाओ।
जो भीतर शांत है, वही असल विजेता है,
मन की कच्ची राह पर चलकर वह सच्चा सिखाता है।
मन मौन व्रत कर...