...

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अहसास

उसका मुस्कुराना याद आ जाता है , जब
बारिस की पहली बुंद नजर आती है ।
तुम्हारा नटखटपन याद आ जाता है, जब
पहली ठंडक मेरे हाथों को छूती है
तुम्हारा प्यार नजर आ जाता है, जब
बसंत की कोयल , मीठा गाना गाती है ।
तुम्हारा गुस्सा नजर आ जाता है ,जब
गर्मी की तीखी तेज मुझ पर पड़ती है ।
क्या हुआ जो आज हम साथ नही ,
ये मौसम तो तुम्हारे होने का अहसास दिलाती है ।।



© Rajesh Mandavi