...

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एक_बेटी_का_पत्र_पिता_के_नाम...
...पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो ,
..आँसू छिपाते हो फेर कर नज़रे,
..इतना फीका मुस्कुराया न करो
..पापा मुझे छोड़ने आया न करो
... हिदायत से घर भर की लाइट्स बुझाते ,
... सोच कर भी न कितने सामान खरीदते ,
...गाड़ी का माइलेज चेक करते रहते ,
...मेरे हाथ में ए टी एम थमाया न करो
... पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो ।
...पानी की बॉटल रखी या नही,
...टिकट कही भूली तो नही ,
...पर्स में खुले पैसे रखे या नही
..इतना नम प्यार जताया न करो
....पापा मुझे छोड़ने आया न करो ।
सीट के नीचे बैग जमाते ,
ध्यान रखना अकेली जा रही,
साथ की किसी महिला को बताते,
पल पल इतनी चिंता जताया न करो
...पापा मुझे छोड़ने आया न करो ।
पहुँचते ही कर देना फोन ,
अब कब होगा आना फिर तुम्हारा ,
रग रग कर देते हो तन्हा ,
उदासी से सर पर हाथ फिराया न करो
..आप स्टेशन आया न करो ।
मैं खामोश रीती हो जाती ,
जी भर ऐसे गले लगाया न करो ,
दूर तक देखती रह जाती हूँ बिखर कर,
ग़मगीन खड़े यू हाथ हिलाया न करो ,..
.....आप स्टेशन आया न करो ।
चप्पा चप्पा कर देते हो वीरान ,
रुन्धा गला बातो में छिपाया न करो,
मेरा आगा पीछा सोच सोच ,
अपना कलेजा दुखाया न करो,
...... मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो ।
फ़ोन पे बात न सूझती आपको,
लो अपनी माँ से बात करो ,
बाद में पूछते उनसे ब्यौरा सारा ,
हमारे नाम पाई पाई के कागज़ बनवाया न करो
पापा.... आप स्टेशन आया न करो ।

© ठाकुर बाई सा