किसान दिवस ❤️
"रोटी" कमाने ही तो निकल जाते हैं लोग घर से दूर,
प्रधान जी का बेटा भी चला जाता है होकर मजबूर,
बस इसी की तो जंग रहती है मयंक सब लोगों में,
वरना क्यों बाबू जी के पैरों में गिर जाए कोई मजदूर।
बाबा रफीक सदानी ने फरमाया था किसी जमाने में,
नेताओं ने किसान को अन्नदाता कहा जनता रिझाने में,
चलो ठीक है माना मयंक ने किसान ही अन्नदाता है,
तो क्यों "रोटी"की कमी बनी है किसान के फसाने में।...
प्रधान जी का बेटा भी चला जाता है होकर मजबूर,
बस इसी की तो जंग रहती है मयंक सब लोगों में,
वरना क्यों बाबू जी के पैरों में गिर जाए कोई मजदूर।
बाबा रफीक सदानी ने फरमाया था किसी जमाने में,
नेताओं ने किसान को अन्नदाता कहा जनता रिझाने में,
चलो ठीक है माना मयंक ने किसान ही अन्नदाता है,
तो क्यों "रोटी"की कमी बनी है किसान के फसाने में।...