...

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“नजर-ए-नजर”
जिनके आंसू सूख गए है, मुर्शद!
उन्हें फिर से रुलाया जाए।

किसने कहा है इश्क एक दफा होता है?
मेरी सुनो तो फिर एक दफा दोहराया जाए।

किसी में दिखे अश्क मेरा, किसी का अश्क बनूं मैं,
कोई जो हो इश्क, जहां इश्क निभाया जाए।

लिख-लिख कर कब तलक बयां करें इश्क हम,
वो आए नजर तो नजर-ए-नजर मिलाया जाए।

“खूबसूरती से मोहब्बत नहीं, मोहब्बत से खूबसूरती है।।”

© Rahul Raghav