मुझे क्या पता था...
मै बारिश की बूंदों में आंसू छुपाने गई थी
मुझे क्या पता था की
बारिश खुद अपने आसूं बरसा रही थी
मै पतझड़ के पत्तों में...
मुझे क्या पता था की
बारिश खुद अपने आसूं बरसा रही थी
मै पतझड़ के पत्तों में...