...

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अकेला हूं।
यूं जमाने से घिरा हूं
जैसे मैं मेला हूं ।
कैसे बताऊं
तुम बिन कितना अकेला हूं,
हंसता हूं बतियाता हूं सबसे
कैसे एहसास दिलाऊं
लाशों के संग बोला हूं,
तेरी संगत से लगता
पत्थर का दिल भी खोला हूं।
कैसे तुम्हें अपनाऊं
फकीरी सी हस्ती मेरी
इश्क़ में मै बहुत भोला हूं ।
© Sunita barnwal