...

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आंखों की तमन्ना
दिल के अरमां को,, दिल में बसा दूं
गुजरे पल को ,,तेरी यादों में बसा लूं
कब ना थी कद्र ,,,तरसती आंखों की तेरी
तुझ से होकर गुजरती है हर जिंदगी मेरी
चाहत थी बहुत कहने की, क्यों ना तुम हमें निहारो
आखों का पैग़ाम है कहती फिर मुलाकात करो
तमन्ना बस यह है कि फिर से तेरी आंखों में उस मोहब्बत को फिर दीदार करूं
पलों की बात है पलों के संग बीत गई
यह उम्र है उम्र के संग प्रीत और रीत गई
दिल के ख्याल थे फिर तुझसे प्यार करूं
हसरत तो यही है तुम संग ताउम्र साथ रहूं