उसे उल्फ़त नहीं तुमसे........(ग़ज़ल)
तेरी क़ुरबत मेरी दुनिया, मेरी दुनिया तेरी क़ुरबत
मिली फ़ुरक़त मुझे फिर क्यों, मुझे फिर क्यों मिली फ़ुरक़त
न आई रास ही उल्फ़त, न भाया वस्ल ही मुझको
है ये ख़लवत मेरी हमदम, मेरी हमदम है ये ख़लवत
मना तो लूं उसे मैं पर हक़ीक़त ये है अब उसको
कोई रग़बत नहीं हमसे, नहीं हमसे कोई रग़बत
यकीं कर लूं किसी पर भी बिना सोचे बिना समझे
नहीं आदत रही अब ये, रही अब ये नहीं आदत
न पीछे ही पलट पाऊं, न आगे ही मैं बढ़ पाऊं
कहां क़िस्मत है ले आई, है ले आई कहां क़िस्मत
'असर' अब बाज़ आ जा तू समझता क्यों नहीं आख़िर
उसे उल्फ़त नहीं तुमसे, नहीं तुमसे उसे उल्फ़त
© शाहरुख़ 'असर'
क़ुरबत : नज़दीकी, समीपता
फ़ुरक़त : जुदाई, विरह
वस्ल : मिलना,
ख़लवत : तन्हाई
रग़बत : चाह, रुचि
बाज़ आना : रुक जाना, मान जाना
#shahrukhasar #writco #writcoapp #ghazal
मिली फ़ुरक़त मुझे फिर क्यों, मुझे फिर क्यों मिली फ़ुरक़त
न आई रास ही उल्फ़त, न भाया वस्ल ही मुझको
है ये ख़लवत मेरी हमदम, मेरी हमदम है ये ख़लवत
मना तो लूं उसे मैं पर हक़ीक़त ये है अब उसको
कोई रग़बत नहीं हमसे, नहीं हमसे कोई रग़बत
यकीं कर लूं किसी पर भी बिना सोचे बिना समझे
नहीं आदत रही अब ये, रही अब ये नहीं आदत
न पीछे ही पलट पाऊं, न आगे ही मैं बढ़ पाऊं
कहां क़िस्मत है ले आई, है ले आई कहां क़िस्मत
'असर' अब बाज़ आ जा तू समझता क्यों नहीं आख़िर
उसे उल्फ़त नहीं तुमसे, नहीं तुमसे उसे उल्फ़त
© शाहरुख़ 'असर'
क़ुरबत : नज़दीकी, समीपता
फ़ुरक़त : जुदाई, विरह
वस्ल : मिलना,
ख़लवत : तन्हाई
रग़बत : चाह, रुचि
बाज़ आना : रुक जाना, मान जाना
#shahrukhasar #writco #writcoapp #ghazal
Related Stories