...

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ठुकराये जा रहे हैं...✍️✍️💔💔 (गजल)
ये जो बार -बार हम ठुकराये जा रहे हैं
कुछ लोग मेरी जगह पे लाये जा रहे हैं

वो मोहब्बत अपनी लुटा रहे हैं कहीं
हमें सपने पर सपने दिखाये जा रहे हैं

मायूस सा रहता है एक शख्स अकेला
ऐसा लगता है उसे गम खाये जा रहे हैं

मेरी जरूरत नहीं उसकी महफ़िल में
वहां लोग उसके खास बुलाये जा रहे हैं

तुम्हारी आंखों से आंसू रह रहे हैं यार
ऐसा लगता है जज्बात दबाये जा रहे हैं

एक दिन उन दिलों से उतर जाओगे
जो प्यार की खातिर रुलाये जा रहे हैं

किताबें भी झुंझला कर बोली 'सत्या'
गुलाब निकालो ये मुरझाये जा रहे हैं

अब इंसान कहां बचा इस दुनिया में
ऐसा लगता है बस बुत बनाये जा रहे हैं






© Shaayar Satya