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उड़ान: बैठी सी
कुछ ही सालो का तंज जान,
एक रूह जुदा हो गयी।
फिर आज एक जान अपनी मौत बन गयी।
छुप कर,इन बादल को अपनी पंख मान बैठी।
हवा के नाम जीया पल सालो जैसा।
उसने एक रोशनी को सीया हाथो में।
मानो, पंख की स्पर्शता।
आज,एक पंछी अपनी उड़ान कल तक कर बैठी।
कल के नाम वो आज की उड़ान कर सीखी।
© 🍁frame of mìnd🍁
एक रूह जुदा हो गयी।
फिर आज एक जान अपनी मौत बन गयी।
छुप कर,इन बादल को अपनी पंख मान बैठी।
हवा के नाम जीया पल सालो जैसा।
उसने एक रोशनी को सीया हाथो में।
मानो, पंख की स्पर्शता।
आज,एक पंछी अपनी उड़ान कल तक कर बैठी।
कल के नाम वो आज की उड़ान कर सीखी।
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