...

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उलफत
उलफत के शामियानों से परे, दूर कहीं… खुदको छुपाना चाहते हैं ।
नजाकत भरी उनकी तिरछी नजरों से, खुदको हम बचाना चाहते हैं ।।

तुम्हें देखने के बाद से कटते थे कहाँ अच्छे से हमारे कोई दिन रैन ।।
पर आज जिस घाव से हुए हैं चोटिल, तेरी बेवफाई की ही देन है ।

कतराते हैं खुदको उनसे कि... फिर से कहीं दुबारा उनका कायल न हो जाए ।
बस वही एक मुस्कुराहट देख उनकी... फिर से कहीं ये घायल न हो जाए ।।

उलफत के शामियानों से परे, दूर कहीं… खुदको छुपाना चाहते हैं ।
नजाकत भरी तिरछी नजरों से उनकी, खुदको हम बचाना चाहते हैं ।।

जान ये सब... मत समझना हमको कभी भी, होगी कोई ये हमारी आवारगी ।
क्यूँकी बहुत...