दीप जल उठे घर आँगन में
दीप जल उठे घर आँगन में
महकी महकी अँगनाई है
रंग बसंती छाया तन में
मन में बज रही शहनाई है
आज मिलेंगे पिया हमारे
बाट निहारूं घूँघट पट खोल।
आँखों में सतरंगी सपने
होठों की लाली राज छुपाये
मीठा मीठा दर्द प्यार का
मन आकुल व्याकुल कर जाये
मिल कर...
महकी महकी अँगनाई है
रंग बसंती छाया तन में
मन में बज रही शहनाई है
आज मिलेंगे पिया हमारे
बाट निहारूं घूँघट पट खोल।
आँखों में सतरंगी सपने
होठों की लाली राज छुपाये
मीठा मीठा दर्द प्यार का
मन आकुल व्याकुल कर जाये
मिल कर...