...

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कैसी है ये दुनिया

प्रेम में सब स्वर्ग-सा लगता है,
विरह में हर ओर आग़ दिखती है।

खुशी में सब खिला-सा लगता है,
ग़म में हर ओर राख़ दिखती हैं।

हर्ष-विषाद, आशा-निराश छोड़,
देखो दुनिया शीशे-सी साफ़ दिखती है।
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