एहसास-ए-ज़िंदगी
© Shivani Srivastava
कुछ उलझनों की दुनिया से अब बहुत दूर जाना है मुझे...
लोगों से तो कम,अब अंतर्मन से ही सुकून पाना है मुझे..
होइहें वही जो राम रचि राखा'यही भाव अपनाना है मुझे..
कुछ उलझनों की दुनिया से अब बहुत दूर जाना है मुझे..
किसी को मैं बुरी ना लग जाऊं,यही परवाह रही अब...