...

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"सबसे बडी योद्धा माँ”

आज बताऊँ मैं एक दर्द,
कापे जिससे दुनिया का मन,
ऐसी कोई बात नहीं,
कि दुनिया को इसकी पहचान नहीं ll

दर्द का कोई नाम नहीं ,
दर्द का कोई माप नहीं ,
जिसने उस दर्द को सहा ,
उसका छोटा नाम नहीं ll

फाड़ गुहा उदर का जिसने,
मुझको जन्म दिया हैंl
यही वो वैसा दर्द है जिसने ,
मातृत्व का सुन्दर नाम लिया हैll

ये वो वैसा दर्द नहीं,
पृथ्वी जिसे सह सकती हैं l
सहते-सहते पृथ्वी भी,
एक दिन ज्वाला उगलती है ll

माँ ही वैसी भगवान है ,
जो सबकुछ चुपकर सहती है,
ममता की मूर्ति बनकर ,
कभी न ज्वाला उगलती हैं ll

जान हथेली पर रखकर ,
बच्चे को जन्म देती हैं l
एसी दर्द सहने की क्षमता ,
पृथ्वी में भी नहीं है ll