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जाने ये किस का बनाया हुआ क़ायदा है
जाने ये किस का बनाया हुआ क़ायदा है
मेरा कैसा ये ग़म से मुहायदा है
उम्मीद ऐ बेहतरी से भी हलकान हैं
सुना था सभी को रब की रहमतों का वादा है
न उम्मीद नहीं हुआ अब तक आस है
तुझे बस चाहते रहने का ही इरादा है
ये दिल जो हर लम्हा शिकवे करता है
कुछ इसी उलझन की सफ़र मे बाधा है
तेरे लौटने पर तुझे बताना है सब
कैसे भुलाता इश्क़ कहाँ इतना सादा है
अंजाम ऐ आखीर की फ़िक्र नहीं करता सारिम
ये जान भी कहाँ तुझसे कुछ ज़्यादा है
© Sarim
मेरा कैसा ये ग़म से मुहायदा है
उम्मीद ऐ बेहतरी से भी हलकान हैं
सुना था सभी को रब की रहमतों का वादा है
न उम्मीद नहीं हुआ अब तक आस है
तुझे बस चाहते रहने का ही इरादा है
ये दिल जो हर लम्हा शिकवे करता है
कुछ इसी उलझन की सफ़र मे बाधा है
तेरे लौटने पर तुझे बताना है सब
कैसे भुलाता इश्क़ कहाँ इतना सादा है
अंजाम ऐ आखीर की फ़िक्र नहीं करता सारिम
ये जान भी कहाँ तुझसे कुछ ज़्यादा है
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