...

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तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं
जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये,
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये…

गुनाह करके सज़ा से डरते हैं,
जहर पी के दवा से डरते हैं,
दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं,
हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं।

कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,
तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये
दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको.

ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं।

जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं।।

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