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Happy makar sankranti
आयों त्यौहार मतवाळों
लोग - लुगाया रे लाग्यों चाळों
कई जावै गंगा तट माथे
लेवै झकोळा भर - भर बाथे
देवे अर्घ्य देव सुरज के
खावै खिचड़ी हांड्या खुरच के
घणों मजों आवै जद सागै मिल जावै तिल रा लाडू
भेळा हो जावै सगळा आड़ू का पाडू
करे बोझ हळकों कर्मा रो
निभावे नेम धर्मा रो
टाबरिया रे भी लागै घणों चाव
कोई जावे मामा के कोई रेवै गाँव
कागज री लावै पतंग लारे लटके डोर
उधम मचाता फिरे चारु ओर
आछी बणाई प्रभु नें त्यौहारा वाळी री रित
जणा-जणा के मन में जग जावै सांची आळी प्रीत


घणा कोढ़ स्यूँ , घणा मान स्यूँ म्हारे हिवड़े री घणी हरक स्यूँ आप सभी नेंं उत्तरायण (मकर संक्रांति) की मौकळी - मौकळी बधाई एवं शुभकामनां ........!