आवारा हूं
आवारा हूं,
इस नकली सभ्यता में,
जहां अमीरों का शौक भारी है
गरीबों की जरूरतें हल्की,
जहां नर नारी ना एक समान।
हाँ, मैं आवारा ही ठीक हूं।
अकेला हूं
इस दिखावटी भीड़ भाड़ में,
जहां इंसान परछाईं है
अंधकार में तुम कौन - मैं कौन,
जहां पग -...
इस नकली सभ्यता में,
जहां अमीरों का शौक भारी है
गरीबों की जरूरतें हल्की,
जहां नर नारी ना एक समान।
हाँ, मैं आवारा ही ठीक हूं।
अकेला हूं
इस दिखावटी भीड़ भाड़ में,
जहां इंसान परछाईं है
अंधकार में तुम कौन - मैं कौन,
जहां पग -...