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प्रकृति संवाद: वादियों की संगत मैं कर लूँ
#WhisperingNature
चाँद समेटूँ
सितारे समेट लूँ
और जल्दी से
ये मुट्ठी बंद कर लूँ
ये चाहत है फ़िज़ाओं की
उसकी ख़ुशबू बिखेर दूँ
समंदर के असमानी रंग में
जहाँ धरती से आसमाँ मिले
उन वादियों के संग
संगत मैं कर लूँ
अट्टहास ना करो,
उड़ लेने दो
मन के परिंदों को
कुछ कर सकूँ
या ना कर सकूँ
रूह की फड़फड़ाहट
तो कम कर लूँ
© Ritu Verma ‘ऋतु’
चाँद समेटूँ
सितारे समेट लूँ
और जल्दी से
ये मुट्ठी बंद कर लूँ
ये चाहत है फ़िज़ाओं की
उसकी ख़ुशबू बिखेर दूँ
समंदर के असमानी रंग में
जहाँ धरती से आसमाँ मिले
उन वादियों के संग
संगत मैं कर लूँ
अट्टहास ना करो,
उड़ लेने दो
मन के परिंदों को
कुछ कर सकूँ
या ना कर सकूँ
रूह की फड़फड़ाहट
तो कम कर लूँ
© Ritu Verma ‘ऋतु’
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