...

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किसी की चाहत…
किसी की चाहत का,
मैं दीवाना हो गया हूँ …
उसकी दिलकश हँसी का,
मैं मस्ताना हो गया हूँ …
मैं हूँ इधर वो है उधर,
दोनों जहाँ की है फ़िकर !
इसको पाना है मगर !
दुरियो का अफ़साना हो गया हूँ …

एक रात को वो,
रास्ते पे मुझे मिली…
हँस रही थी देखकर,
मुझको जब वो मिली…
हॉंथ हिलाया और पूँछा !
कैसे हो मेरे कवि…
ऑंख खुली और देखा,
कुछ नहीं था अभी…
सपने आते है आज कल,
मैं बे-ध्याना हो गया हूँ…
किसी की चाहत का,
मैं दीवाना हो गया हूँ …

बात मैं कर लेता हूँ,
वो हमेशा मेरे साथ है…
वो मुझे चुप कराती है,
चाहे दिन हो चाहे रात है…
सोच-सोच कर मैं उसके,
ख़्यालों में डूब गया…
पता नहीं यह रब की,
या खुवाइशो की करामात है…
“जिंद” शमा यह कैसी जल उठी है,
मैं परवाना हो गया हूँ…
किसी की चाहत का,
मैं दीवाना हो गया हूँ …


#जलते_अक्षर
© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻