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जाने भी दो यारों

जाने भी दो यारों
जाने भी दो यारों
कब तक निगाहों में उनके बनते फिरोगे तुम गाफ़िल
कल भी तेरे गुनाहों की चर्चा थी महफ़िल महफ़िल
इस शोख मुहब्बत से तौबा क्यों न कर लो यारों
जाने भी दो यारों
अटकी पड़ी हैं सांसें बंद घड़ी की सूइयों सी
मिलन की आशाएं दुबकी पड़ी छुइमुइ सी
नयनों में चाहत की इतनी सदा क्यों हो यारों
जाने भी दो यारों
तेरे ही नाम लिखे हैं आसमान के चांद सितारे
तेरी ही छटाओं से रौशन हैं गली चौबारे
अपना तो क्या लगा है सारे रंग हैं तुम्हारे
यारों जाने भी दो यारों