बचपन के संग
ऐसा लगता मानों संसार भी मेरा है,
कितना आनंद भरा था,
आंगन भी तेरे संग हंसता था
बाल क्रीडाओं से गूंज उठता ।
ना कोई बेरी ना कोई अंहकार
मानों सभी मेरे अपने थे,
हमारी फ़ौज जिसमें ना जाति का झमेला
ना कोई धर्म ना ही कोई छोटा बड़ा ।
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कितना आनंद भरा था,
आंगन भी तेरे संग हंसता था
बाल क्रीडाओं से गूंज उठता ।
ना कोई बेरी ना कोई अंहकार
मानों सभी मेरे अपने थे,
हमारी फ़ौज जिसमें ना जाति का झमेला
ना कोई धर्म ना ही कोई छोटा बड़ा ।
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