...

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दोगलापन

जब कभी तन्हाई सताती है,मन बेचैन हो जाता है।
फोन करो ना करो पर ऊपर से व्हाट्सएप की नोटिफिकेशंस पढ़कर ,भेजने वाले को रीड रिसिप्ट ना मिले ,यह हुनर मुझे नहीं आता है।
नहीं आती राजनीति वो भी घर की, क्या बताएं फ़िर, बाहर की दुनिया...