कवच
मैं वीर हूं शाकाल हूं मैं वर्छियों का धार हूं।
जलती हुई हर ज्वाल का धधका हुआ अंगार हूं।
मैं वीर हूं-----------------------------------।
मेरी तरफ जो भी बढ़े, मैं चीर दूं उस वायु को।
सहमा हुआ...
जलती हुई हर ज्वाल का धधका हुआ अंगार हूं।
मैं वीर हूं-----------------------------------।
मेरी तरफ जो भी बढ़े, मैं चीर दूं उस वायु को।
सहमा हुआ...