वो मेरा हमदर्द था जानने वाला
वो मेरा हमदर्द भी और था अज़ीज़ जानने वाला...
वो मेरे हर एक बात को भी था अच्छे से मानने वाला...
बना कर एक पल में अजनबी वो यूं मुझको....
लगाकर ज़र्ब खुशियों पर गया वो मेरा पहचानने वाला...
कर गया तन्हा इस तरह से के फिर मैं बस ना सका....
बिना कुछ बोले गया मुझको यूं उजाड़ने वाला...
...
वो मेरे हर एक बात को भी था अच्छे से मानने वाला...
बना कर एक पल में अजनबी वो यूं मुझको....
लगाकर ज़र्ब खुशियों पर गया वो मेरा पहचानने वाला...
कर गया तन्हा इस तरह से के फिर मैं बस ना सका....
बिना कुछ बोले गया मुझको यूं उजाड़ने वाला...
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