तारों की नुमाइश
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं।
मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता कोई फव्वारा...
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं।
मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता कोई फव्वारा...