...

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धीर में खीर मिलथे
हमर सियान मन हा संगी हमला देइस ऐ उपदेस,
धीर राख रे मानुष झन जा तै परदेस।
परदेस जा के संगी तै हो जाबे परबुधिया,
ना रइही तोला खुद के सुध ,ना रइही तोर सुध लेवइया।
धीरज राख एक दिन सब ठीक होही,
विकट परिस्थिति में धीरज राखबे ता
सब अपने आप सही होही ।
ऐ जिन्दगी के दसतूर आए,
जे धीरज राखे ओही अमृत रस पाए।
धीर में खीर मिलथे,अपन बखत मा सब फूल खिलते ।
देर होत हे पर अधीर मत हो,
जेन दिन तोर बारी आही, देखबे तोर किस्मत बदल जाही।
थोकन रूक अऊ बिचार कर ,महेनत कर अऊ आघू बढ़।
फल देवइया ऊपर हे,अऊ करम करइया नीचे हे।
चिंता झन कर तोर हक के कोई नई खाए,
तोर करम के फल तोही ला मिलही वो कोई नई पाए।
जय जवान !जय किसान !
राम-राम



पूर्वी हिन्दी (छ.ग.)