धीर में खीर मिलथे
हमर सियान मन हा संगी हमला देइस ऐ उपदेस,
धीर राख रे मानुष झन जा तै परदेस।
परदेस जा के संगी तै हो जाबे परबुधिया,
ना रइही तोला खुद के सुध ,ना रइही तोर सुध लेवइया।
धीरज राख एक दिन सब ठीक होही,
विकट परिस्थिति में धीरज राखबे ता
सब अपने आप सही होही ।
ऐ...
धीर राख रे मानुष झन जा तै परदेस।
परदेस जा के संगी तै हो जाबे परबुधिया,
ना रइही तोला खुद के सुध ,ना रइही तोर सुध लेवइया।
धीरज राख एक दिन सब ठीक होही,
विकट परिस्थिति में धीरज राखबे ता
सब अपने आप सही होही ।
ऐ...