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महाशिवरात्रि
#शिवस्तुति
जय शम्भु उमापति शंकर हे।
जय गंग जटा धर वन्दन हे।।
प्रभु मस्तक चन्द्र छटा अप्रमं।
गल नाग भभूति सुशोभ तनं।।
जगदीश अनादि अनन्त विभो।
शशिशेखर दिव्य स्वरूप प्रभो।।
जग तारन द्वन्द विनाश हरे।
रवि कोटि प्रभास त्रिशूल धरे।।
तनया हिम वाम विराज शुभं।
गणराज गजानन अंक सुतं।।
मृगछाल सुआसन सत्य शिवं।
भवताप विनाशक गौरि प्रियं।।
शमशान रमे हर मोक्ष प्रदं।
विजया प्रिय आक धतूर फलं।।
तव रूप अमंगल राशि शुभं।
प्रणमामि सुरासुर सत्य शिवं।।
🙏🏻आप सभी को शिवरात्रि की बहुत शुभ कामनाएँ
© vives
जय शम्भु उमापति शंकर हे।
जय गंग जटा धर वन्दन हे।।
प्रभु मस्तक चन्द्र छटा अप्रमं।
गल नाग भभूति सुशोभ तनं।।
जगदीश अनादि अनन्त विभो।
शशिशेखर दिव्य स्वरूप प्रभो।।
जग तारन द्वन्द विनाश हरे।
रवि कोटि प्रभास त्रिशूल धरे।।
तनया हिम वाम विराज शुभं।
गणराज गजानन अंक सुतं।।
मृगछाल सुआसन सत्य शिवं।
भवताप विनाशक गौरि प्रियं।।
शमशान रमे हर मोक्ष प्रदं।
विजया प्रिय आक धतूर फलं।।
तव रूप अमंगल राशि शुभं।
प्रणमामि सुरासुर सत्य शिवं।।
🙏🏻आप सभी को शिवरात्रि की बहुत शुभ कामनाएँ
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