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कुछ कर नहीं सकते.....
कभी कभी ज़िंदगी में ऐसी बातें हो जाती है,
कुछ कर नहीं सकते,
ना ही किसीसे कुछ कह सकते,
और ना ही कुछ सह सकते,
ना किसी को कुछ बता पाते,
बस वो दर्द सबसे छुपा सकते,
जिसने लादी ज़मी पर हमारे लिए फलक,
उनसे हम मिलने नही गए निकाल कर वक़्त तलक,
कुछ मजबूरी तो कुछ अपनो के बंधन,
न जाने कब जाएगे हम खुशियों के आँगन,
होता है एक अलग दर्द,
पर उससे अपनो को ही नहीं पड़ता फर्क,
कुछ कर नहीं सकते.....
© Glory of Epistle
कुछ कर नहीं सकते,
ना ही किसीसे कुछ कह सकते,
और ना ही कुछ सह सकते,
ना किसी को कुछ बता पाते,
बस वो दर्द सबसे छुपा सकते,
जिसने लादी ज़मी पर हमारे लिए फलक,
उनसे हम मिलने नही गए निकाल कर वक़्त तलक,
कुछ मजबूरी तो कुछ अपनो के बंधन,
न जाने कब जाएगे हम खुशियों के आँगन,
होता है एक अलग दर्द,
पर उससे अपनो को ही नहीं पड़ता फर्क,
कुछ कर नहीं सकते.....
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