...

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ज़िन्दगी के पहलू
ज़िन्दगी का ये कैसा पहलू हैँ ,
सब नया नया सा हैँ,
न जान हैँ, ना ही पहचान हैँ,
हर इंसान हर किसी से अंजान हैँ,

एक दूसरे के साथ की ज़रूरत हैँ,
हर किसी से बात करने मे हिचकिचाहट है,

चाहो तो एकदूसरे का सहारा बन आगे बढ़ो,
चाहो तो ऐसे ही चुप्पी साधकर पीछे रहो .

निर्णय तुम्हारा है,
ज़िन्दगी मे बदलाव तोह बार बार आना है।