...

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~ सूरवीर~

था वह योद्धा,
जिसके आने पर सूरज- चंद्रमा खिड़की से ताके,
माटी का अद्भुत रस ले, उस स्वर्णंकारी प्रतिमा को बुलबुल भी टकटकी नेत्रों से झांके,
अद्भुत शौर्य दिखाये जो सूर्यवंशी " सूरवीर "वास्तव में वही कहलाते,
हर लिया प्राणों को उसने,
जो माता के स्वाभिमान को ललकारते,
चित्त मन साहस भर अंदर निश्छल मुख ही हैं उनके स्वर्णपूर्ण धागें,
ले लिया प्रण जो एकपल,
फिर पीठ दिखाकर रण से कभी ना भागें,
वास्तव में योद्धा वही कहलाते प्राणों से बढ़कर जिनके लिए होते हैं माटी के कणों के तागें!!


_NightingaleShree