...

6 views

बेबसी
है लाख सितम
बंदिशें भी हज़ार,
लड़खड़ाते कदम
ख्वाहिशों का पहाड़,
इरादे थर थराते
डरी सी उम्मीदें,
आँख मे आँशु
हाथ पलके कुरेदे,
सांस थमी सी
काली है रातें,
सपने जो बिखरे
है ख्वाब डराते,
है ठंढा बदन जो
चढ़ा क्यों बुखार?
है कैसे ये दिन?
भूले जन्म-त्योहार!
है लाख सितम
बंदिशें भी हज़ार...


© आदर्श चौबे