...

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अनकही बातों के दिल का ,ख्यालों की तुम पुरवाई हो
अनकही बातों के दिल का
ख्यालों की तुम पुरवाई हो
मन मंदिर में बसने वाले
जीवन की परछाई हो

तेरे बिन अधूरी लगती
तुम ऐसी क्रीम रस मलाई हो
छूकर रह जाता है मेरे जज्बात
तुम ऐसी आंखों की तरू नाई हो

मन करता है सामने बैठा कर तुम्हें निहारता रहूं
तुम इतनी खूबसूरत प्यारी हो
पलक पर बैठा कर मन करता घूम आऊं
तुम ऐसी तितली रानी हो

आंखों को सुकून देने वाली
तुम आईं ड्रोप निराली हो
मेरे हाथ पर हाथ रखना वाली
मेरी मजबूत कलाई हो

तेरी यादें विस्मृत नहीं होती
तुम जीवन की पढ़ाई हो
महक उठे घर का कोना-कोना
तुम यादों की ऐसी फुलवारी हो

छू कर रह जातें मेरे जज्बात
तुम कितनी नसीब वाली हो
तुम्हें देखने को जी करता हरदम
तुम्हीं कहो यह कार्य कैसे पुर्ण निराली हों

अनकही बातों के दिल,,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar