कुछ सपने टूटे हुए
कुछ सपने मेरी आंखो में
यूं ही अपना दम तोड़ रहे
पानी बहता जो बिन रुके
विसर्जित सारे ख्वाब हो रहे
मूंदी आंखो के पीछे की यह
सिसकिया मैं किसे सुनाऊं
जो मुझसे...
यूं ही अपना दम तोड़ रहे
पानी बहता जो बिन रुके
विसर्जित सारे ख्वाब हो रहे
मूंदी आंखो के पीछे की यह
सिसकिया मैं किसे सुनाऊं
जो मुझसे...