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...फिर भी जिंदा हैं
मरे कई बार मगर अब भी जिंदा है
तेरे बाद मुस्कुराए गर तो शर्मिंदा हैं
वो करते थे दावा ताउम्र साथ देने का
अब किसी और आंगन का बाशिंदा है
ताब संभले जो खुद के ज़हर की हमसे
गैरों के शाने पर रख के सर वो तबिंदा है
मर चुके हैं जमीर ज़माने में लोगों के
हकीम कहते हैं फिर भी कि जिंदा हैं
लाख उड़े आसमानों में जाए किसी शहर
ना भूल फिर तू इसी डाल का परिंदा है
© Poeत्रीباز
तेरे बाद मुस्कुराए गर तो शर्मिंदा हैं
वो करते थे दावा ताउम्र साथ देने का
अब किसी और आंगन का बाशिंदा है
ताब संभले जो खुद के ज़हर की हमसे
गैरों के शाने पर रख के सर वो तबिंदा है
मर चुके हैं जमीर ज़माने में लोगों के
हकीम कहते हैं फिर भी कि जिंदा हैं
लाख उड़े आसमानों में जाए किसी शहर
ना भूल फिर तू इसी डाल का परिंदा है
© Poeत्रीباز
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