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क्या है जिन्दगी
(⁠๑⁠•⁠﹏⁠•⁠) जिन्दगी (⁠◍⁠•⁠ᴗ⁠•⁠◍⁠)⁠❤

कोहरे की तरह कभी-कभी हो जाती है जिन्दगी,
क्या होगा आगे कुछ नहीं समझ पाती है जिन्दगी,
कोहरे की तरह कभी-कभी हो जाती है जिन्दगी।
खड़े जहां हम मन कुछ यूं घबराता,
आगे-पिछे,दायें-बायें कुछ नजर
नहीं आता।
अपने अन्दर की सूरज जगाए रखे,
राह कितने भी कठिन हो पर हौसला बनाए रखें।
परवाह न करो बहुत कुछ सिखाती है जिन्दगी,
कितना भी घना कोहरा क्यों न हो आगे ले जाती है जिन्दगी।

कोहरे की तरह कभी-कभी हो जाती है जिन्दगी,
क्या होगा आगे कुछ नहीं समझ पाती है जिन्दगी।
चलो बिना पिछे देखें बढ़ो ,
भविष्य की चिंता छोड़ो वर्तमान को पढ़ो।
कौन क्या कहता है क्या फर्क पड़ता है,
आंखे अपनी बंद करो और दिल की सुनो।
परिश्रम आपकी पहचान बनाएगी,
न दिखते रास्तों को दिखाकर मंजिल तक ले जाएगी।
आपकी कोशिश ही तो रंग लाती है जिन्दगी,
आपमें हिम्मत है तो बदल जाती है जिन्दगी।
कोहरे की तरह कभी-कभी हो जाती है जिन्दगी,
क्या होगा आगे कुछ नहीं समझ पाती है ज़िन्दगी।

© Savitri..