...

2 views

ईश्क इन 20थ सेंचुरि
सोचता हूँ क्या कसूर हुआ,
जो यूँ ईश्क पहले गुरुर हुआ,
फिर चूर हुआ,
बेहकाया दुनिया ने क्या खूब,
और हैरत है, खुदा भी उसी वक़्त दूर हुआ,
जरूर हुआ की बस ख्वाब हवा हुआ,
जरूर हुआ की बस खत्म फितूर हुआ,
फरिक् निगाहों से नूर हुआ,
बस न हीर र्रांझा हुए,
बस जख्म ताजा हुए,
बस ये हुआ।
- वि.लिरिसिस्ट

© All Rights Reserved