...

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अब के बिछड़े तुमसे.......
अब के बिछड़े तुमसे, जाने जिंदगी फिर मिले कहाँ,
गर्दिश-ए-हालात-ए-सबब, न होंगे कदमों के निशाँ।

दूर तलक़ जिंदगी, जाने किस मोड़ पर चली लेकर,
तुम भी हो गए पराये, चाहत से मेरी बदगुमां होकर।

अब तो जारी है हरपल, मेरी मोहब्बत का इम्तिहाँ,
गर्दिश-ए-हालात-ए-सबब, न होंगे कदमों के निशाँ।

चाहा था तुमको दिल...