9 views
बेचैनी
बेअदबी जुबां में नहीं ज़हन में है जो नहीं जाती
यकीन मानिए मैंने जुबां को काटकर देख लिया
रास्ते जितने भी मंज़िल के है सब बर्बादी के है
मैंने हर रास्ता कदम कदम चलकर देख लिया
ज़ख़्म अग़र नासुर बन जाएं तो कैसा लगेगा
मैंने ये अपने नाख़ूनों से कुरेद कर देख लिया
ख़ुदा जाने अब ये शब-ए-हिज़्राॅं कैसे गुजरेगी
मैंने ख़ुम-ए-मय होकर के भी सोकर देख लिया
अब कोई इलाज नहीं इस दिल की बेचैनी का
मैंने मां की गोद में भी सर रखकर देख लिया
© charansahab
शब- ए- हिज़्राॅं____विरह की रात
ख़ुम-ए-मय____शराब पीकर धुत्त हो जाना
यकीन मानिए मैंने जुबां को काटकर देख लिया
रास्ते जितने भी मंज़िल के है सब बर्बादी के है
मैंने हर रास्ता कदम कदम चलकर देख लिया
ज़ख़्म अग़र नासुर बन जाएं तो कैसा लगेगा
मैंने ये अपने नाख़ूनों से कुरेद कर देख लिया
ख़ुदा जाने अब ये शब-ए-हिज़्राॅं कैसे गुजरेगी
मैंने ख़ुम-ए-मय होकर के भी सोकर देख लिया
अब कोई इलाज नहीं इस दिल की बेचैनी का
मैंने मां की गोद में भी सर रखकर देख लिया
© charansahab
शब- ए- हिज़्राॅं____विरह की रात
ख़ुम-ए-मय____शराब पीकर धुत्त हो जाना
Related Stories
19 Likes
6
Comments
19 Likes
6
Comments