...

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बेचैनी
बेअदबी जुबां में नहीं ज़हन में है जो नहीं जाती
यकीन मानिए मैंने जुबां को काटकर देख लिया

रास्ते जितने भी मंज़िल के है सब बर्बादी के है
मैंने हर रास्ता कदम कदम चलकर देख लिया

ज़ख़्म अग़र नासुर बन...